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ABOUT US

यक्ष फाउंडेशन एक प्राइवेट किसानो का क्लब है और इसकी स्थापना सितम्बर 2017 में हुई, यक्ष फाउंडेशन MSME रजिस्ट्रेशन : UK05D0001686 जीएसटी : 05AGNPC2079A2ZU शून्य डेबिट कुल जिम्मेदार पदवी : 16 राज्यों के हिसाब से कुल 1342 ब्लॉक लेवल प्रतिनिधि । कुल सदस्य किसान : 28,600 किसानो का वर्गीकरण क्रॉप फार्मर, कैटल फार्मर, फिश फार्मर ग्रामीण रोजगार सहायता : यक्ष फाउंडेशन पंचगव्य आधारित उत्पादों का अपने आंतरिक व्यापार (Internal Trade) प्रणाली के तहत प्रशिक्षण, निर्माण व वितरण करवाता है अपने सदस्यों के मध्य। इसके अलावा हम भारत के विभिन्न राज्यों के 450 से अधिक महिला समूहों के उत्पादों को भी अपने सदस्यों के मध्य उपलब्ध करवा ते है।

यक्ष फाउंडेशन क्या है और हम क्या करते है?

यक्ष फाउंडेशन का वर्तमान स्वरूप एक आंतरिक व्यापार (Internal Trade) प्रणाली पर कार्य करने वाला गैर सरकारी निजी किसानो का क्लब है। यहा सभी सदस्य जो इस क्लब से जुड़े है, सभी एक मासिक सदस्यता के रूप में हमारे साथ जुड़े महिला समूहों और जिन ग्रामीण क्षेत्रो में यक्ष फाउंडेशन ने रोजगार परक कोई भी गतिविधि यदि प्रारम्भ की है तो वहां के उत्पादों को प्रत्येक सदस्यों को प्रत्येक माह अपनी जरूरतों का सामान जो हमारे सहयोगी बना रहे है उन्हें बाजार की जगह हमारे माध्यम से खरीदना है। प्रत्येक सदस्य को अनिवार्य रूप से हर माह कम से कम 499 रूपये मूल्य का अपनी घरेलू, कृषि , पशुपालन की आवश्यकताओ का सामान हमारे माध्यम से खरीदता है, जिसके विनिमय में यक्ष फाउंडेशन प्रत्येक सदस्य को उसके ग्रामीण परिवेश में ही उसकी रूचि के अनुसार हमारे विभिन्न गौ इकॉनमी आधारित एवं कृषि व पशुपालन आधारित रोजगार परक प्रशिक्षण के माध्यम से उसके लिए रोजगार का अवसर प्रदान किया जाता है। हम सिर्फ प्रशिक्षण तक सीमित होने की अपेक्षा , प्रशिक्षण के पश्चात् सदस्य के व्यापार के सफलता पूर्वक संचालन की जिम्मेदारी भी निभाते। हम एक आंतरिक व्यापार प्रणाली का अनुसरण करते है, जिसमें हमसे जुड़े सभी सदस्य किसी ना किसी प्रकार का स्वरोजगार अर्थात उत्पादकता करता है और बाकि सभी सदस्य उस उत्पाद को अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदते है जिससे प्रत्येक सदस्य को समुचित रोजगार प्राप्त होता है।

OUR MISSION: GREEN CREDIT : CARBON CREDIT

यक्ष फाउंडेशन वर्तमान में किसानो के मध्य कार्बन क्रेडिट के प्रति जागरूकता अभियान चला है, है और हमारा उद्देश्य 2030 तक भारत के अधिकांश किसानो को “कार्बन क्रेडिट” का लाभ दिलवाना है, किसी देश द्वारा अपने पर्यावरण परिवेश में हानिकारक गैसों की उत्सर्जन क्षमता को कम करने पर उसे विश्व के सम्मेलन द्वारा दिया जाता है। कार्बन क्रेडिट को एक प्रकार से वन और खेती द्वारा संजोए कार्बन की बिक्री से प्राप्त की मत कहा जा सकता है।
वन व खेती से कार्बन कैसे संजोए ?
वास्तव में एकमात्र मिटटी ही है जो वातावरण के कार्बन को अपने में संजोये रखने में बाकि संसाधनों की तुलना में 10 गुना ज्यादा सक्षम होती है और मिटटी में जितनी अधिक कार्बन की मात्रा का समावेश होगा मिटटी की गुणवत्ता उतनी अधिक होगी अतः मूलभूत बात ये है की हमे अपने देश की मिटटी को बचाना है, जो की अत्यधिक रासायनिक कीटनाशकों और यूरिया के प्रयोग की वजह से अपने अंदर की सयोजन क्षमता खो चुकी है, और जिसकी वजह से आज हर प्रकार की खेती व वन कमजोर कीटो से भी नहीं लड़ पाते है और धराशायी हो जाते है और हम बिना मूल समस्या को जाने या उसके निवारण के बस अपनी फसलों को बचाने के लिए और ज्यादा रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते है जिससे मुजूदा फसल तो बच रही है परन्तु मिटटी अपनी प्रकृतिक रोधक क्षमता खो रही है ।
कार्बन क्रेडिट क्या है ?
जिस प्रकार पेड़ कार्बनडाई ऑक्साइड सोख कर ऑक्सीजन देते है उसी प्रकार मिटटी कार्बन को सोखकर बेहतर पैदावार देती है, प्रकृति ने हमे हमारे फैलाई प्रदूषण से हमे बचा ने के लिए हमे ये संसाधन दिए है परन्तु हम अपने लालच में इनका दोहन कर रहे है, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में हमने अपनी उस मिटटी का इतना दोहन कर दिया जिसकी वजह से हम खा पाते है, अब वो मिटटी अपनी संयोजन क्षमता खो रही है, जिसके भयानक परिणाम होंगे। हमे अपनी उस मिटटी को बचा ना हो गा , इसके लिए सयुंक्त राष्ट के तत्वाधान में एक परियोजना बनाई गयी है, जिसमे प्रदूषण फ़ैलाने वाले इकाइयों को कार्बन सर्टिफिकेट खरीदना होगा । और किसानो को , जो किसान जितनी ज्यादा मिटटी के स्वास्थ का ख्याल रखेगा उसे उसी परिणाम में प्रति एकड़ एक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी । आपकी मिटटी की जाँच के पश्चात आपके साथ 20 वर्ष का अनुबंध किया जायेगा कि एक तो आप अपने फसल अवशेष नहीं जलाएंगे अपितु उसे जैविक खाद के रूप में प्रयोग करेंगे और धीरे धीरे आप जैविक रसायनो का प्रयोग कर के अपने खेती को जैविकता की और ले जायेंगे। यक्ष फाउंडेशन इन समस्त प्रक्रिया में आपका सहयोगी बनेगा और आपके प्रोत्साहन राशि को आप तक पहुंचा ने में सहयो ग करेगा । साथ ही आपके उत्पादन के विपणन (marketing) में भी सहायता करेगा । भारत सरकार जलवायु संधि शामिल होने के पश्चात विश्व के उन देशो में शामिल हुआ है, जिन्हे अपने देश की मिटटी और पर्यावरण को हानि कारक रसायनो से बचा ना है, इसके लिए अब भारत सरकार ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग को लागू किया है। इसमें सभी प्रदूषण फैलाने वाले इकाइयों का रखाना व बड़े व्यापारिक संयंत्रों जैसे की कॉर्पोरेट बिल्डिंग, मॉल, बिज़नेस हब इत्यादि के लिए कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट अनिवार्य किया जा रहा है, अर्थात उन्हें उनके द्वारा फैला रहे कार्बन के बदले क्रेडिट खरीदना । और किसानो को अपनी मिटटी के स्वास्थ को बेहतर करना होगा साथ ही अपने फसल अवशेष जलाने की जगह डिकम्पो स करना होगा । इस बात को यूँ समझि ये की किसान मिटटी की गुणवत्ता को जितना सुधारेंगे, मिटटी वातावरण से उतना अधिक कार्बन अवशोषित करेगी , उससे वातावरण से प्रदूषण कम होगा । प्रकृति ने मिटटी और पेड़ पौधो के रूप में हमे हमारे फैलाये प्रदूषण से बचाव का उपाय दिया है। सरल भाषा में किसान कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करेंगे और बाकि प्रदूषण फ़ैला ने वाली इकाइयां वो क्रेडिट खरीदेगी । इसके लिए भारत सरकार ने किसानो को प्रति एकड़ एक प्रोत्साहन राशि तय की है, जो उनकी मिटटी के स्वास्थ और फसल अवशेष के निस्तारण पर निर्भर करेगा । और यक्ष फाउंडेशन किसानो को ये लाभ दिलवा ने में सहायता करेगा ।

OUR VISSION : यक्ष फाउंडेशन की दूर दृष्टि

यक्ष फाउंडेशन की दृष्टि किसानो को कार्बन क्रेडिट के प्रति जागरूक कर के उन्हें जैविक खेती के लिए प्रेरित करना है। और जब किसान जैविक खेती करने लगेंगे तो उन्हें जैविक रसायन और जैविक खाद की आवश्यकता पड़ेगी और साथ ही जब फसल अवशेषों को जैविक खाद में बदला जायेगा तो उस वक़्त सभी किसानो को बड़े पैमाने में गोबर की आवश्यकता पड़ेगी , इसी के मद्देनज़र यक्ष फाउंडेशन अधिक से अधिक गौपालक के सम्पर्क को स्थापित करना चाहती है एवं ग्रामीण आजीविका के तहत लोगो को गौपालन के प्रति जागरूक कर के उन्हें गौ पालन से रोजगार में जोड़ने में सहायता करती है, साथ ही पंच गव्य आधारित 60 विभिन्न उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण दे के उन्हें उद्यमशीलता से भी जोड़ती है, और साथ ही उनके उत्पादों की मांग निरंतर बनी रहे इसके लिए सदस्यों के मध्य आंतरिक व्यापार (Internal Trade) प्रणाली का अनुसरण करती है। फसल अवशेषों से जैविक खाद या बायोचर बना ने में सहयोग करना : आरम्भिक सर्वे में कुछ चुनौतियां सामने आयी जैसे की किसानो द्वारा उपस्थित फसल के कटाई के बाद, फसल अवशेषो से जैविक खाद बनाने में कम से कम 35 से 45 दिन का वक़्त लगता है, परन्तु किसान को इस बीच अपनी मिटटी को तैयार करना पड़ता है अगली फसल के लिए और बिना खाद के मिटटी तैयार करना एक असम्भव चुनौती थी फिर इसका हल निकला बायोचार के रूप में । बायोचार के माध्यम से कार्बन क्रेडिट: बायोचार के प्रयोग से दोहरा फायदा मिलता है किसानो को । एक तो बायोचार से नई फसल के लिए खेत तैयार करने पर मिटटी के गुणों में सुधार होगा और नई उपज में गुणवत्ता पूर्ण वृद्धि हो ती है। दूसरी बायोचार बना ने से कार्बन क्रेडिट की प्रोत्साहन राशि अन्य प्रक्रियाओ के मुकाबले अधिक प्राप्त हो ने की संभावना हो ती है। उदाहरण के लिए : जहाँ जैविक खाद बनाने पर कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने की प्रक्रिया 45 बाद शुरू होगी वही बायोचार बना ने पर यही प्रक्रिया 15 दिन बाद शुरू हो जाएगी । अन्य प्रक्रिया से कार्बन क्रेडिट मूल्य यदि 20$ हो तो बायोचार से कार्बन क्रेडिट मूल्य वही 35 $ तक हो सकता है।